यह कहानी उस समय कि है जब महाभारत का युद्ध सुरु हो चुका था ,
जहा भाई भाई सत्ता , धर्म और अधर्म कि बिच कि लडाई लड़ रहे थे, वही एक योद्धा ऐसा भी था जो अधर्म कि ओर हो कर कौरवो के साथ ,पांडवो के विरुद्ध लडाई लड़ रहा था जिसका नाम था अस्वत्थमा , अस्वत्थमा के पिता द्रोणाचार्य थे जिनकी हत्या पांडवो के कूटनीति से हुई थी , अस्वत्थमा अपने पिता के मृत्यू का बदला लेने के लिये पांडवो के कई बेटो को मार डाला, उसकी इस हरकत को देख श्री कृष्णजी ने उसके माथे मे लगा मणि निकाल लिया और अस्वत्थमा को श्राप दिया अनंत काल तक मणि के बिना तकलिफ मे रह कर अमर रहने का ।
समय बितता गया और ये घटना कहानी बन कर रह गयी ।
मुंबई 14 फरवरी 2034..............
मुंबई शहर के ताज होटल मे एक बार फिर कुछ आतंक वादियो ने हमला किया है , और पुरे देश मे हाहाकार मचा हुवा है , अधर्म और आतंकवाद अपने चरम पे है , तभी दो रिपोटर सोनू सिंह राजपूत, और राम तिवारी को ताज होटल कि न्यूज़ कवरेज के लिये भेजा गया ।
दोनो ही आलसी थे जिसके कारण कोन कैमरा पकडेगा इस मामूली बात पर लड़ बैठे चुकि किसी एक को कवरेज लेनी थी और किसी एक को रेपोटींग करनी थी तो राम कैमरा पकड कर कवरेज लेने लगा, जब वो कवरेज ले रहा था तभी उसने ताज होटल के एक कमरे मे अपने कैमरे कि मदद से ज़ूम किया,
वहा उसने देखा कि एक दो साल कि बच्ची अपने माँ के साथ वहा खडी होकर बचाओ बचाओ चिल्ला रहे है ,
राम जेसे ही थोडा और ज़ूम करता है वैसे ही वो कमरा बॉम्ब से फट जाता है और ये सब देख राम के होश उड़ जाते है ,और वो वही पर बेहोश हो जाता है
अगले 10 दिनो तक राम हॉस्पिटल मे बेहोस रह्ता है और बेहोसी के हालत मे भी राम को वही सब याद आता है जो वो उस ताज होटल मे हुवा ।तभी अचानक से राम को होश आता है , जिसे देख कर सोनू खुश तो होता है लेकिन वो राम के उपर गुस्से से लाल पिला होने लगता है और कह्ता है -
सोनू- सेल कमीने तुझे बेहोश होने को और कोई टाईम नही मिला ,तेरे चक्कर मे हमदोनो अब बेरोजगार हो गये ।
राम - केसे क्या हुवा ?
सोनू- बोस ने नौकरी से निकाल दिया हमलोगो को ।
अब होते रहना बेहोश जिन्दगी भर ।
जब खाने के वान्दे हो जायेंगे तब होते रहना कमीने
राम - अबे तो दुसरी नौकरी मिल जायेगी क्यू मर रहा है । सबर करो (सोनू - दुसरी नौकरी हलवा है क्या )
अरे भाई जब तक नौकरी नही मिलेगी तब तक अपना बैंक के पैसो से काम चल जायेगा ।
सोनू - आछा तेरा इलाज का पैसा कोन दिया, पुर खर्च हो गया हरामखोर । (रोते हुवे) अब क्या करेंगे भाई इतने बडे शहर मे।
रुक मे कुछ इन्तेजाम करता हू एसा राम कह कर अपने मोबाइल मे से एक कॉल लगाने लगा और कुछ देर बात कर चिल्ला कर बोला नौकरी मिल गया.........
सोनू राम से पूछता है कि कहा नौकरी मिली है?
तब राम ने बताया एक ही मौका है और खतरा भी है ,
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले मे नक्सलियोंका इंटरव्यू लेना है
लेकिन खतरा ज्यादा है क्युकी वो नक्सली कभी भडक सकते है और हमला कर सकते है। तब सोनू ने राम को कहा नौकरी नहीं मिली तो वैसे भी मरना पडेगा,कुछ करना है तो रिस्क तो उठाना पडेगा ।
वह किसी तरह उस जंगल के ठिकाने पर पहुचते है जहा उन्का एक आदमी वहा उन दोनो का इन्तजार करते रह्ता है , वे दोनो उस आदमी से मिलते है तथा वो नक्सली उन दोनो को अपने मेन सरदार के पास लेके जाता है ,जहा वो दोनो उस नक्सली सरदार का इंटरव्यू लेते है ,और तभी इंटरव्यू खतम करने के बाद एक आदमी उन्हे बिच जंगले मे छोड़ के भाग जाता है । जब वो लोग रस्ता खोजते हैं तो उन्हे कोई रास्ता नही मिलता है , वो दोनो घबरा जाते है ,और उन्हे कुछ समझ मे नही आता है , तभी कुछ सन्साहत सी आवाज आती है , वो मुड कर देखते है कि उन्के पीछे एक बडा सा शेर खडा
था ,
राम और सोनू देखते रह जाते है ...
........................... to be continued
आगे कि कहानी अगली कडी मे ।
लेखक - योगेश त्रिपाठी
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