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The thama , Born of power part 1
आगे कि कहानी -
शेर को देख कर राम और सोनू भगाने लगते है , तभी उन्दोनो के सामने से एक जंगली आदमी उल्टे शेर कि तरफ दौडने लगता है , राम और सोनू जेसे तैसे किसी पेड के पीछे जा कर छुप जाते है और वो देखते है कि एक वही जंगली इन्सान शेर को एक मुक्का मरता है जिससे शेर दूर जाकर गिरता है , शेर वापस हमला करने लगता है और उस आदमी और शेर के बिच खुब हाथापाही होती है परंतु उस आदमी ने शेर के जबडे पे जोर से मुक्का मारा जिससे शेर के दांत टुट गये और शेर वहा से भाग गया,
इन सभी दृश्यो को सोनू और राम देख रहे थे तथा वो दोनो चम्भीत थे कि इस प्रकार शक्तिशाली और बलवान जिसकी उचाई लगभग 7 फुट जिसके माथे से लहू टपक रही है वो अजीबो गरिब दिखने वाला इन्शान कौन है, तभी वो दोनो देखते है कि शेर के साथ लड़ने कि वजह से उस आदमी के हाथो मे चेहरे पर चोट आई है परंतु वह चोट धीरे धीरे सुखते जाता है , यह आश्चर्य कि बात थी कि इस जमाने मे किसी के घाओ (चोट) बिना दवाइयो या औषधियो के ठीक हो जा रहे है ,
तभी राम और सोनू देखते है वो आदमी वही धरती से मिट्टी उठा कर अपने शरीर मे लेपने लगता है , राम और सोनू को उसके पास जाने का मन था पर वो दोनो इस विशाल काय इन्सान से भयभीत भी थे । तभी अचानक से सोनू को याद आता है कि उनका कैमरा कहा गया वो दोनो इधर उधर देखने लगते है, इस बिच मे वो जंगली आदमी भी वहा से गायब हो जाता है ,
सोनू अब फिर से राम के उपर गुस्सा करने लगता है और दोनो मिल के कैमरा खोजने लगते है परंतु कैमरा नही मिलता है , तभी एक सनसनाहट कि आवज आती है और राम बोलता है -
भाई चल कैमरा नही मिलने वाला अगर यहा से जल्दी नही निकले तो किसी जानवर को हम मिल जायेंगे। ऐसा बोल कर वो दोनो वापस अपने घर को चले जाते है , और दुख और भूख , और विलाप से इनका हाल बुरा हो जाता है ,
- क्या आप दोनो हमे दूंढ रहे है ,
राम और सोनू के कान खडे हो जाते है, और पीछे पलट कर देखते है कि एक इन्सान जिसके माथे से लहू बह रहा है , वो उन दोनो के उपर पेड मे बैठा उनको देख रहा है
राम और सोनू जोर से डर के मारे चिल्लाते है ।
और पीछे हो जाते है तभी वह जंगली इन्सान पेड से निचे कूदता है और राम और सोनू को कहता है-
डरिये मत मै आपको कुछ नही करूंगा ,
सोनू - तुम, तुम हो कौन
राम - सोनू तू चुप रह ।
महोदय आप कौन है , दिखने से तो यहा के नही लगते
अपना परिचय दिजीये और आप यहा इस जंगलो मे क्या कर रहे है ?
अस्व्त्थमा (जंगली )- मै अस्वत्थमा हू । और मै इसी जंगलो मे रह्ता हू ।
राम - आप महाभारत काल से है क्या ?
अस्वत्थमा - जी हां पर आप सभी को कैसे पता !
ये सब सुन कर मानो राम और सोनू के होश उड गये, सोनू ने राम के कान मे धीरे से कहा - भाई मुझे तो लगता है ये कोई पागल है ।
सोनू - हा हमने भी रामायण पढी है ।
अस्वत्थमा - रामायण.....?
राम - अस्वत्थमा जी हमने महाभारत पढी है परंतु हमे विश्वास नही हो रहा कि आप सच मे अमर है ।
अस्वत्थमा -परंतु यह सच है ।
इस प्रकार राम और सोनू , आस्वत्थमा से बात करते करते सहज होने लग गये राम ने ये भी पुछा कि आप इतने समय तक अकेले क्यू भटकते रहे, तब अस्वत्थमा ने कहा कि मुझे श्राप मिला है अकेले पृथ्वी के अन्त तक रहने का दुख और दर्द सहने का
तभी राम कहता है - भले ही आपको श्राप मिला है परंतु इतनी शक्ती रखने के बाद ,इतनी विद्या रखने के बाद भी आप ऐसे जंगलो मे भटक रहे है , क्यू?
अस्वत्थमा - यही मेरि नियती है !
सोनू - अस्व्त्थमा जी हमे बचपन से सिखाया गया है कि इन्सान अपनी नियती खुद लिखता है ,
और ये बात तो आपको माननी पड़ेगी कि श्री कृष्ण ने आपको जब श्राप दिया तो इसका भी कोई अर्थ होगा , क्युकी बिना अर्थ के तो कुछ भी नही होता।
राम - आपने हमारी जान बचाई , आपका बहुत धन्यवाद परंतु
हमारे जेसे कई सारे लोग है जिन्हे आपकी जरुरत है , हम इसी लिये याहा जंगलो मे आपको धुण्ढ़ने आये थे, ताकी आप हमारे साथ चले और अपनी शक्तियों को व्यर्थ न जाने दें, मानव कि भलाई मे इसे लगाये ।
अस्वत्थमा - किंचित इसमे कोई शक नही है कि आपकी नियत शुद्ध है ।
परंतु मेरे कर्म और मेरि नियती मुझे इसकी आज्ञा नही देती कि मै पुरे विश्व को अपना चेहरा दिखा सकु।
आप दोनो का धन्यवाद परंतु अब मुझे जाना होगा , और मेरा आग्रह है आपको कि आप ये बात किसी को नहीं बतायेंगे।
ऐसा कह कर अस्वत्थमा वहा से चला गया और राम और सोनू दोनो दुखी मन से घर वापस आगये
उधर आस्वत्थमा के हृदय मे व्याकुलता और दुख कि भावनाएँ हिलोर मार रही थी क्युकी वह अन्तरमन मे पश्चाताप कर रहा था कि काश वह समय मे पीछे जाता और अपने कर्मो को सुधार पाता, परंतु उसे ज्ञात था कि समय जो बीत गया वह वापस नही आने वाला,
वह राम कि कही बातो का चिंतन मनन कर रहा था कि राम ने जो भी कहा वो सच ही तो है ,भगवान ने यदि अमर होने का श्राप दिया है तो कुछ तो करण होगा ही , इतने समय तक जंगलो मे भटकने से उसे क्या लाभ हुवा , और जो उसकी शक्तियाँ, बाहुबल सभी व्यर्थ ही तो जा रहे है ,
इस प्रकार अस्वत्थमा सोच रहा था कि उसके अमर रहने का क्या प्रयोजन है , तभी एक आवज आती है
नारद मुनि- नारायण नारायण ,
अस्वत्थमा - अरे देव ऋषी नारद..... प्रणाम !
नारद मुनि - आयुष्मान भव:
अस्वत्थमा - ऐसा आशीर्वाद न दें मुनिवर , यही तो श्राप है मेरा।
परंतु आप इतने समय बाद , आवस्य ही कोई कारण होगा ।
नारद मुनि- जी हाँ महाबली अस्वत्थमा, मेरे यहा आने का बहुत बडा प्रयोजन है ,
द्रौण पुत्र ! आपको याद होगा आपको आपके कर्म हेतू श्राप मिला है अमरत्व का , परंतु इसका भी एक कारण है ।
जिससे मै आपको अवगत कराता हू , इस ब्रम्हाण्ड मे जो कुछ भी होता है भगवान कि इक्षा से होता है ,चाहे वह कर्म अच्छा हो या बुरा । अर्थात आपको जो श्राप मिला है वह इस कली मे कार्य आयेगी , आपको इस कलयुग मे सत्य कि स्थापना करने मे भविश्य मे भगवान विष्णू कि सहयता करनी है , तब तक आप अपनी शक्तियो से अब मानव को अवगत करा सकते है।
अस्वत्थमा - अर्थात इसका मतलब ये है कि वे जो दो मनुष्य मुझसे मिलने आये थे ये भी भगवान कि लीला है ।
नारद मुनि -हा पुत्र ।
अस्वत्थमा -परंतु उन्हे तो मैने मना कर दिया मुझसे मिलने को और मै उनसे मिल नही सकता क्युकी मुझे बाहरी दूनियाँ का ज्ञान नही है, और सबसे बडी समस्या तो यह है कि मेरे माथे से निकलते रक्त से लोग भयभीत हो जाते है ।
नारद मुनि- नारायण नारायण ! वत्स सब कुछ मै बता दूंगा तो तो आप क्या करेंगे ( हसते हुए )
और नारद जी गायब हो गये , अस्वत्थमा को अपनी मंजिल तो मिल गई थी परंतु उसे समझ मे नही आरहा था कि वह मंजिल तक पहुचेगा कैसे । और अस्वत्थमा कुछ योजना बनाने लगा। और इधर राम और सोनू दोनो ही टेंशन मे थे कि आगे वो क्या करेंगे , तभी टीवी मे न्यूज़ मे दिखता है कि मुंबई एयरपोर्ट को हाईजैक कर लिया गया है , आतंकियों द्वारा जो अपने शरीर मे बॉम्ब लग कर पुरे एयरपोर्ट को ब्लास्ट करना चाहते है।
तभी राम कहता है - सोनू ऐसे समय पर एक ही व्यक्ति हमारी सहायता कर सकता है अस्वत्थमा, अत: किसी मे इतना दम नही है कि कोई इतनी फुर्ती से एयरपोर्ट मे लोगो को बचा सके।
सोनू - पहली बात तो तू फाल्तू सोच रहा है कि सच मे अस्वत्थमा है मुझे तो कोई पागल लगता है , और दुसरी बात वो छत्तीसगढ मे है और हम मुंबई मे कैसे जएगा तू।
राम- जैसे भी करके जना तो पडेगा ।
सोनू - ये आदमी पागल हो गया है ।
फिर राम और सोनू किसी तरह छत्तीसगढ़ के लिये प्राईवेट प्लेन कि व्यवस्था करते है , चुकि उन्के पास पैसे तो थे नही इसलिये अपने जर्नलिस्ट वाली आई डी दिखा कर , और प्लेन का खर्चा न्यूज़ चैनल पे चढा कर वो छत्तिसगढ़ को निकल जाते है ।
वहा पहूचने के बाद वो अस्वत्थमा को बहुत धुण्ढ़ते है पर वो नही मिलता है ,और जब वो दोनो निराश हो कर वापस प्लेन मे बैठते है तब , वो देखते है कि अस्वत्थमा वही एक पेड पर बैठा हुवा है , राम अस्वत्थमा से बात करता है तब अस्वथमा बोलता है , मुझे सब पता चल गया है , भगवान ने मुझे किस उद्देस्य से श्राप दिया था , मेरे लिये दिया गया श्राप दूसरो के लिये वरदान स्वरुप होगा । ऐसा कह कर तीनो मुंबई आजाते है जहा तिन ब्लास्ट हो चुके होते है जहा पुरा मुंबई धू धू कर जलता दिखता है ,
राम और सोनू , अस्वत्थमा को अपने घर ले जाते है और बताते है कि आतंकी हमला हुवा है , जैसे पुराने समय मे राक्षस हुवा करते थे वैसेही कलयुग के राक्षस आतंकवादी है , जो कि हमारे हवाई अडडे को अपने कब्जे मे ले लिये है,
अस्वत्थमा - हवाई अड्डा ये क्या होता है
राम - अस्वत्थमा ये सब समझाने का समय नही है,
अब वहा जाकर क्या करना है सुनो ।
अस्वत्थमा तुम्हे अपने फुर्ती का प्रयोग करके सिधे ऐरोप्लेन के पास जाना है, वहा पहुचते ही सोनू तुम्हे बता देगा ।
फिर सोनू तुम्हे और मुझे पुलिश और मिडिया का ध्यान अपने उपर खीचना होगा ताकी अस्वत्थमा को अंदर जाने मे परिशानी न हो । क्युकी इतने लम्बे चौडे आदमी को कोई भी देख सकता है ।
सोनू- वो सब तो ठीक है पर इसे लोगो से छिपाये कैसे, ये इस हालत मे वहा नही जा सकता ।
अरे हा नेट से मैने जैकेट मंगाया था लेकिन सालो ने पार्सल चेंज कर दिया पर वो जैकेट अस्वत्थमा को आजयेगी तो ठीक है ।
अत: तीनो निकल पडते है एअरपोर्ट । वहा जाके सबसे पहले सोनू दूर से पीछे का गेट अस्वत्थमा को दिखाता है और पुलिस वालो के हटने का इन्तजार करने को कह कर राम के पास चले जाता है, और दोनो पुलिस का ध्यान भटकाते है जिससे पुलिस कुछ सैकेण्ड के लिये पीछे के दरवाजे पर अपना ध्यान खो देती है और अस्वत्थमा तुरंत दौड कर प्लेन के पास पहुच जाता है, जोर से प्लेन के दरवाजे को लात मारता है जिससे दरवाजा टुट जाता है, और बाहर खडे लोग अस्वत्थमा को देखते है और पूछने लगते है वो कोन है वो कौन है ।अस्वत्थमा जैसे ही दरवाजा तोडता है आतंकवादी गोली चलना सुरु कर देते है जिससे अस्वत्थमा निचे गिर जाता है । तभी .....
सोनू -मै जनता था कि पागल है , साले तेरे चक्कर मे एक पागल आदमी कि जान चले गई
राम- चुप चाप देख तू बकवास मत कर
तभी अस्वत्थमा धीरे से उठता है, इससे पता चलता है कि अस्वत्थमा अमर है परन्तू दर्द उसे भी होता है । प्लेन के टुटे दरवाजे को ढाल बना कर आतंकवसीयो को खुब पिटता है और , सभी को बाहर ले लाता है लोग उसे देख कर पूछने लगते है कि तुम कोन हो , परंतु अस्वत्थमा कोई जवाब नही देता तभी पीछे से राम चिल्लाता है थामा....... इसका नाम थामा है, और सब लोग ताली बजाने लगते है ।
और सोनू बोलता है ये कैसा नाम है थामा , थामा
तब अस्वत्थमा बोलता है जो भी है मुझे पसंद है ।
और तीनो वहा से बच कर अपने घर को लौट जाते है
The beginning
अगले भाग मे थामा एक ऐसे वैज्ञानिक को रोकता है जो अपने पागल पन के चक्कर रावण को दुबारा जगाना चाहता है।
लेखक -योगेश त्रिपाठी
आगे कि कहानी -
शेर को देख कर राम और सोनू भगाने लगते है , तभी उन्दोनो के सामने से एक जंगली आदमी उल्टे शेर कि तरफ दौडने लगता है , राम और सोनू जेसे तैसे किसी पेड के पीछे जा कर छुप जाते है और वो देखते है कि एक वही जंगली इन्सान शेर को एक मुक्का मरता है जिससे शेर दूर जाकर गिरता है , शेर वापस हमला करने लगता है और उस आदमी और शेर के बिच खुब हाथापाही होती है परंतु उस आदमी ने शेर के जबडे पे जोर से मुक्का मारा जिससे शेर के दांत टुट गये और शेर वहा से भाग गया,
इन सभी दृश्यो को सोनू और राम देख रहे थे तथा वो दोनो चम्भीत थे कि इस प्रकार शक्तिशाली और बलवान जिसकी उचाई लगभग 7 फुट जिसके माथे से लहू टपक रही है वो अजीबो गरिब दिखने वाला इन्शान कौन है, तभी वो दोनो देखते है कि शेर के साथ लड़ने कि वजह से उस आदमी के हाथो मे चेहरे पर चोट आई है परंतु वह चोट धीरे धीरे सुखते जाता है , यह आश्चर्य कि बात थी कि इस जमाने मे किसी के घाओ (चोट) बिना दवाइयो या औषधियो के ठीक हो जा रहे है ,
तभी राम और सोनू देखते है वो आदमी वही धरती से मिट्टी उठा कर अपने शरीर मे लेपने लगता है , राम और सोनू को उसके पास जाने का मन था पर वो दोनो इस विशाल काय इन्सान से भयभीत भी थे । तभी अचानक से सोनू को याद आता है कि उनका कैमरा कहा गया वो दोनो इधर उधर देखने लगते है, इस बिच मे वो जंगली आदमी भी वहा से गायब हो जाता है ,
सोनू अब फिर से राम के उपर गुस्सा करने लगता है और दोनो मिल के कैमरा खोजने लगते है परंतु कैमरा नही मिलता है , तभी एक सनसनाहट कि आवज आती है और राम बोलता है -
भाई चल कैमरा नही मिलने वाला अगर यहा से जल्दी नही निकले तो किसी जानवर को हम मिल जायेंगे। ऐसा बोल कर वो दोनो वापस अपने घर को चले जाते है , और दुख और भूख , और विलाप से इनका हाल बुरा हो जाता है ,
तभी अचानक से राम बोलता है -
सोनू !! भाई तुने कभी शेर के दांत टूटते देखा है ,
सोनू- हमारे भी टूटेंगे क्युकी जिन जिन लोगो से कर्ज ले कर हम अपना जिवन यापन कर रहे है वो तो आयेंगे ही ।
राम - अरे मै जो बोल रहा हू उसे तो सुन , भाई तुने आज तक किसी मनुष्य के हाथो किसी शेर के दांत टूटते देखे है । (सोनू- नही ।।)
और क्या तुने कभी 7 फुट का इन्सान देखा है जोकि शरीर से महा शक्तिशाली दिखता हो और हो भी ,
सोनू - हा ।।। तो क्या करू ।
राम - मर जा । अबे समझ रहा है कि इस जमाने मे कौन मट्टी से अपने शरीर को लेपता है , और उसके घाओ जो खुद से ठीक हो रहे है, कुछ तो है । सोनू , कुछ तो गड़बड़ है दया (हसते हुए )
सोनू - बात तो सही कह रहा है पर उसके सारे चोट कहा ठीक हुए ,उसके माथे मे लगे चोट से तो खुन निकल ही रहा था ।
राम -अरे भाई इसी से तो मुझे कुछ गडबड सा लग रहा है ,
कही वो... अस्व्त्थमा तो नही ।
सोनू - अबे यार ,,,,,कहा तू अभी रामायण लेके सुरु हो गया यार
राम - तुम जेसे लोग मॉर्डन बनने के चक्कर मे अपनी संस्कृति भुल जाओ , तुम जैसो को इतना भी पता नही कि अस्व्त्थमा रामायण मे नही महाभारत काल मे थे ,
सोनू - हा ठीक है पर ज्यादा मत बोल ,
तू क्या पागल हो रहा है महाभारत को हुए लाखो हजारो साल हो गये , और ऐसा कोई प्रूफ नही है कि अस्वत्थमा अमर है और आज भी जिन्दा है ।
राम - तो वो क्या था जिसके माथे से लहू और शेर का दांत ।
सोनू - कुछ नही वो जंगली था और जंगल मे रहने वालो के पास ताकत होती है, और बात रही चोट कि तो जंगल मे है यार कही से लग गई होगी ।
राम - मान भी ले कि तू सच बोल रहा है तो सोच अगर वो इन्सान हमे मिल जाये तो हमे नौकरी यू चुटकी बजाते हुए मिल जायेगी , क्युकी उसकी जो काबिलियत हमने देखी वो भाई आज तक नही देखी और पक्का किसी ने नही देखी होगी।
सोनू - बात तो सही है लेकिन फिर जाना पडेगा जंगलो मे
राम -कुछ पाना है तो रिस्क तो उठना पडेगा न यार।
अतह दोनो निकल जाते है छत्तीसगढ़ के जंगलो मे उस जंगली आदमी कि तलाश मे।
बहुत दिनो तक दोनो जंगलो मे उस इन्सान् को खोजते है परंतु वह नही मिलता है , एक दीन दोनो थक कर जंगल मे दोपहर के समय बैठ जाते है और पनी पी कर ये विचार करने लगते है कि अब वापस चलना चाहिये खुकी लगभग 2 हफ्ते हो चुके थे उस इन्सान को खोजने मे लेकिन वो अभी तक नही मिला था तभी पेड के उपर से एक आवज आती है ।
सोनू !! भाई तुने कभी शेर के दांत टूटते देखा है ,
सोनू- हमारे भी टूटेंगे क्युकी जिन जिन लोगो से कर्ज ले कर हम अपना जिवन यापन कर रहे है वो तो आयेंगे ही ।
राम - अरे मै जो बोल रहा हू उसे तो सुन , भाई तुने आज तक किसी मनुष्य के हाथो किसी शेर के दांत टूटते देखे है । (सोनू- नही ।।)
और क्या तुने कभी 7 फुट का इन्सान देखा है जोकि शरीर से महा शक्तिशाली दिखता हो और हो भी ,
सोनू - हा ।।। तो क्या करू ।
राम - मर जा । अबे समझ रहा है कि इस जमाने मे कौन मट्टी से अपने शरीर को लेपता है , और उसके घाओ जो खुद से ठीक हो रहे है, कुछ तो है । सोनू , कुछ तो गड़बड़ है दया (हसते हुए )
सोनू - बात तो सही कह रहा है पर उसके सारे चोट कहा ठीक हुए ,उसके माथे मे लगे चोट से तो खुन निकल ही रहा था ।
राम -अरे भाई इसी से तो मुझे कुछ गडबड सा लग रहा है ,
कही वो... अस्व्त्थमा तो नही ।
सोनू - अबे यार ,,,,,कहा तू अभी रामायण लेके सुरु हो गया यार
राम - तुम जेसे लोग मॉर्डन बनने के चक्कर मे अपनी संस्कृति भुल जाओ , तुम जैसो को इतना भी पता नही कि अस्व्त्थमा रामायण मे नही महाभारत काल मे थे ,
सोनू - हा ठीक है पर ज्यादा मत बोल ,
तू क्या पागल हो रहा है महाभारत को हुए लाखो हजारो साल हो गये , और ऐसा कोई प्रूफ नही है कि अस्वत्थमा अमर है और आज भी जिन्दा है ।
राम - तो वो क्या था जिसके माथे से लहू और शेर का दांत ।
सोनू - कुछ नही वो जंगली था और जंगल मे रहने वालो के पास ताकत होती है, और बात रही चोट कि तो जंगल मे है यार कही से लग गई होगी ।
राम - मान भी ले कि तू सच बोल रहा है तो सोच अगर वो इन्सान हमे मिल जाये तो हमे नौकरी यू चुटकी बजाते हुए मिल जायेगी , क्युकी उसकी जो काबिलियत हमने देखी वो भाई आज तक नही देखी और पक्का किसी ने नही देखी होगी।
सोनू - बात तो सही है लेकिन फिर जाना पडेगा जंगलो मे
राम -कुछ पाना है तो रिस्क तो उठना पडेगा न यार।
अतह दोनो निकल जाते है छत्तीसगढ़ के जंगलो मे उस जंगली आदमी कि तलाश मे।
बहुत दिनो तक दोनो जंगलो मे उस इन्सान् को खोजते है परंतु वह नही मिलता है , एक दीन दोनो थक कर जंगल मे दोपहर के समय बैठ जाते है और पनी पी कर ये विचार करने लगते है कि अब वापस चलना चाहिये खुकी लगभग 2 हफ्ते हो चुके थे उस इन्सान को खोजने मे लेकिन वो अभी तक नही मिला था तभी पेड के उपर से एक आवज आती है ।
- क्या आप दोनो हमे दूंढ रहे है ,
राम और सोनू के कान खडे हो जाते है, और पीछे पलट कर देखते है कि एक इन्सान जिसके माथे से लहू बह रहा है , वो उन दोनो के उपर पेड मे बैठा उनको देख रहा है
राम और सोनू जोर से डर के मारे चिल्लाते है ।
और पीछे हो जाते है तभी वह जंगली इन्सान पेड से निचे कूदता है और राम और सोनू को कहता है-
डरिये मत मै आपको कुछ नही करूंगा ,
सोनू - तुम, तुम हो कौन
राम - सोनू तू चुप रह ।
महोदय आप कौन है , दिखने से तो यहा के नही लगते
अपना परिचय दिजीये और आप यहा इस जंगलो मे क्या कर रहे है ?
अस्व्त्थमा (जंगली )- मै अस्वत्थमा हू । और मै इसी जंगलो मे रह्ता हू ।
राम - आप महाभारत काल से है क्या ?
अस्वत्थमा - जी हां पर आप सभी को कैसे पता !
ये सब सुन कर मानो राम और सोनू के होश उड गये, सोनू ने राम के कान मे धीरे से कहा - भाई मुझे तो लगता है ये कोई पागल है ।
सोनू - हा हमने भी रामायण पढी है ।
अस्वत्थमा - रामायण.....?
राम - अस्वत्थमा जी हमने महाभारत पढी है परंतु हमे विश्वास नही हो रहा कि आप सच मे अमर है ।
अस्वत्थमा -परंतु यह सच है ।
इस प्रकार राम और सोनू , आस्वत्थमा से बात करते करते सहज होने लग गये राम ने ये भी पुछा कि आप इतने समय तक अकेले क्यू भटकते रहे, तब अस्वत्थमा ने कहा कि मुझे श्राप मिला है अकेले पृथ्वी के अन्त तक रहने का दुख और दर्द सहने का
तभी राम कहता है - भले ही आपको श्राप मिला है परंतु इतनी शक्ती रखने के बाद ,इतनी विद्या रखने के बाद भी आप ऐसे जंगलो मे भटक रहे है , क्यू?
अस्वत्थमा - यही मेरि नियती है !
सोनू - अस्व्त्थमा जी हमे बचपन से सिखाया गया है कि इन्सान अपनी नियती खुद लिखता है ,
और ये बात तो आपको माननी पड़ेगी कि श्री कृष्ण ने आपको जब श्राप दिया तो इसका भी कोई अर्थ होगा , क्युकी बिना अर्थ के तो कुछ भी नही होता।
राम - आपने हमारी जान बचाई , आपका बहुत धन्यवाद परंतु
हमारे जेसे कई सारे लोग है जिन्हे आपकी जरुरत है , हम इसी लिये याहा जंगलो मे आपको धुण्ढ़ने आये थे, ताकी आप हमारे साथ चले और अपनी शक्तियों को व्यर्थ न जाने दें, मानव कि भलाई मे इसे लगाये ।
अस्वत्थमा - किंचित इसमे कोई शक नही है कि आपकी नियत शुद्ध है ।
परंतु मेरे कर्म और मेरि नियती मुझे इसकी आज्ञा नही देती कि मै पुरे विश्व को अपना चेहरा दिखा सकु।
आप दोनो का धन्यवाद परंतु अब मुझे जाना होगा , और मेरा आग्रह है आपको कि आप ये बात किसी को नहीं बतायेंगे।
ऐसा कह कर अस्वत्थमा वहा से चला गया और राम और सोनू दोनो दुखी मन से घर वापस आगये
उधर आस्वत्थमा के हृदय मे व्याकुलता और दुख कि भावनाएँ हिलोर मार रही थी क्युकी वह अन्तरमन मे पश्चाताप कर रहा था कि काश वह समय मे पीछे जाता और अपने कर्मो को सुधार पाता, परंतु उसे ज्ञात था कि समय जो बीत गया वह वापस नही आने वाला,
वह राम कि कही बातो का चिंतन मनन कर रहा था कि राम ने जो भी कहा वो सच ही तो है ,भगवान ने यदि अमर होने का श्राप दिया है तो कुछ तो करण होगा ही , इतने समय तक जंगलो मे भटकने से उसे क्या लाभ हुवा , और जो उसकी शक्तियाँ, बाहुबल सभी व्यर्थ ही तो जा रहे है ,
इस प्रकार अस्वत्थमा सोच रहा था कि उसके अमर रहने का क्या प्रयोजन है , तभी एक आवज आती है
नारद मुनि- नारायण नारायण ,
अस्वत्थमा - अरे देव ऋषी नारद..... प्रणाम !
नारद मुनि - आयुष्मान भव:
अस्वत्थमा - ऐसा आशीर्वाद न दें मुनिवर , यही तो श्राप है मेरा।
परंतु आप इतने समय बाद , आवस्य ही कोई कारण होगा ।
नारद मुनि- जी हाँ महाबली अस्वत्थमा, मेरे यहा आने का बहुत बडा प्रयोजन है ,
द्रौण पुत्र ! आपको याद होगा आपको आपके कर्म हेतू श्राप मिला है अमरत्व का , परंतु इसका भी एक कारण है ।
जिससे मै आपको अवगत कराता हू , इस ब्रम्हाण्ड मे जो कुछ भी होता है भगवान कि इक्षा से होता है ,चाहे वह कर्म अच्छा हो या बुरा । अर्थात आपको जो श्राप मिला है वह इस कली मे कार्य आयेगी , आपको इस कलयुग मे सत्य कि स्थापना करने मे भविश्य मे भगवान विष्णू कि सहयता करनी है , तब तक आप अपनी शक्तियो से अब मानव को अवगत करा सकते है।
अस्वत्थमा - अर्थात इसका मतलब ये है कि वे जो दो मनुष्य मुझसे मिलने आये थे ये भी भगवान कि लीला है ।
नारद मुनि -हा पुत्र ।
अस्वत्थमा -परंतु उन्हे तो मैने मना कर दिया मुझसे मिलने को और मै उनसे मिल नही सकता क्युकी मुझे बाहरी दूनियाँ का ज्ञान नही है, और सबसे बडी समस्या तो यह है कि मेरे माथे से निकलते रक्त से लोग भयभीत हो जाते है ।
नारद मुनि- नारायण नारायण ! वत्स सब कुछ मै बता दूंगा तो तो आप क्या करेंगे ( हसते हुए )
और नारद जी गायब हो गये , अस्वत्थमा को अपनी मंजिल तो मिल गई थी परंतु उसे समझ मे नही आरहा था कि वह मंजिल तक पहुचेगा कैसे । और अस्वत्थमा कुछ योजना बनाने लगा। और इधर राम और सोनू दोनो ही टेंशन मे थे कि आगे वो क्या करेंगे , तभी टीवी मे न्यूज़ मे दिखता है कि मुंबई एयरपोर्ट को हाईजैक कर लिया गया है , आतंकियों द्वारा जो अपने शरीर मे बॉम्ब लग कर पुरे एयरपोर्ट को ब्लास्ट करना चाहते है।
तभी राम कहता है - सोनू ऐसे समय पर एक ही व्यक्ति हमारी सहायता कर सकता है अस्वत्थमा, अत: किसी मे इतना दम नही है कि कोई इतनी फुर्ती से एयरपोर्ट मे लोगो को बचा सके।
सोनू - पहली बात तो तू फाल्तू सोच रहा है कि सच मे अस्वत्थमा है मुझे तो कोई पागल लगता है , और दुसरी बात वो छत्तीसगढ मे है और हम मुंबई मे कैसे जएगा तू।
राम- जैसे भी करके जना तो पडेगा ।
सोनू - ये आदमी पागल हो गया है ।
फिर राम और सोनू किसी तरह छत्तीसगढ़ के लिये प्राईवेट प्लेन कि व्यवस्था करते है , चुकि उन्के पास पैसे तो थे नही इसलिये अपने जर्नलिस्ट वाली आई डी दिखा कर , और प्लेन का खर्चा न्यूज़ चैनल पे चढा कर वो छत्तिसगढ़ को निकल जाते है ।
वहा पहूचने के बाद वो अस्वत्थमा को बहुत धुण्ढ़ते है पर वो नही मिलता है ,और जब वो दोनो निराश हो कर वापस प्लेन मे बैठते है तब , वो देखते है कि अस्वत्थमा वही एक पेड पर बैठा हुवा है , राम अस्वत्थमा से बात करता है तब अस्वथमा बोलता है , मुझे सब पता चल गया है , भगवान ने मुझे किस उद्देस्य से श्राप दिया था , मेरे लिये दिया गया श्राप दूसरो के लिये वरदान स्वरुप होगा । ऐसा कह कर तीनो मुंबई आजाते है जहा तिन ब्लास्ट हो चुके होते है जहा पुरा मुंबई धू धू कर जलता दिखता है ,
राम और सोनू , अस्वत्थमा को अपने घर ले जाते है और बताते है कि आतंकी हमला हुवा है , जैसे पुराने समय मे राक्षस हुवा करते थे वैसेही कलयुग के राक्षस आतंकवादी है , जो कि हमारे हवाई अडडे को अपने कब्जे मे ले लिये है,
अस्वत्थमा - हवाई अड्डा ये क्या होता है
राम - अस्वत्थमा ये सब समझाने का समय नही है,
अब वहा जाकर क्या करना है सुनो ।
अस्वत्थमा तुम्हे अपने फुर्ती का प्रयोग करके सिधे ऐरोप्लेन के पास जाना है, वहा पहुचते ही सोनू तुम्हे बता देगा ।
फिर सोनू तुम्हे और मुझे पुलिश और मिडिया का ध्यान अपने उपर खीचना होगा ताकी अस्वत्थमा को अंदर जाने मे परिशानी न हो । क्युकी इतने लम्बे चौडे आदमी को कोई भी देख सकता है ।
सोनू- वो सब तो ठीक है पर इसे लोगो से छिपाये कैसे, ये इस हालत मे वहा नही जा सकता ।
अरे हा नेट से मैने जैकेट मंगाया था लेकिन सालो ने पार्सल चेंज कर दिया पर वो जैकेट अस्वत्थमा को आजयेगी तो ठीक है ।
अत: तीनो निकल पडते है एअरपोर्ट । वहा जाके सबसे पहले सोनू दूर से पीछे का गेट अस्वत्थमा को दिखाता है और पुलिस वालो के हटने का इन्तजार करने को कह कर राम के पास चले जाता है, और दोनो पुलिस का ध्यान भटकाते है जिससे पुलिस कुछ सैकेण्ड के लिये पीछे के दरवाजे पर अपना ध्यान खो देती है और अस्वत्थमा तुरंत दौड कर प्लेन के पास पहुच जाता है, जोर से प्लेन के दरवाजे को लात मारता है जिससे दरवाजा टुट जाता है, और बाहर खडे लोग अस्वत्थमा को देखते है और पूछने लगते है वो कोन है वो कौन है ।अस्वत्थमा जैसे ही दरवाजा तोडता है आतंकवादी गोली चलना सुरु कर देते है जिससे अस्वत्थमा निचे गिर जाता है । तभी .....
सोनू -मै जनता था कि पागल है , साले तेरे चक्कर मे एक पागल आदमी कि जान चले गई
राम- चुप चाप देख तू बकवास मत कर
तभी अस्वत्थमा धीरे से उठता है, इससे पता चलता है कि अस्वत्थमा अमर है परन्तू दर्द उसे भी होता है । प्लेन के टुटे दरवाजे को ढाल बना कर आतंकवसीयो को खुब पिटता है और , सभी को बाहर ले लाता है लोग उसे देख कर पूछने लगते है कि तुम कोन हो , परंतु अस्वत्थमा कोई जवाब नही देता तभी पीछे से राम चिल्लाता है थामा....... इसका नाम थामा है, और सब लोग ताली बजाने लगते है ।
और सोनू बोलता है ये कैसा नाम है थामा , थामा
तब अस्वत्थमा बोलता है जो भी है मुझे पसंद है ।
और तीनो वहा से बच कर अपने घर को लौट जाते है
The beginning
अगले भाग मे थामा एक ऐसे वैज्ञानिक को रोकता है जो अपने पागल पन के चक्कर रावण को दुबारा जगाना चाहता है।
लेखक -योगेश त्रिपाठी
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