एक 12 साल का बच्चा था जिसके पिता वैद्य थे , वो बच्चा मासूम था परंतु बड़ा चंचल ओर बुद्धिमान भी था, उसका नाम अब्दुल था ।
तथा उसे जड़ी बूटियों का ज्ञान भी था जिस कारण उसके पिता उसे जंगलों में हमेशा जड़ी बूटी लेने भेजा करते थे ।
एक दिन एक दम्पत्ति अपने बेटे को लेकर अब्दुल के घर आए क्योंकि उनके बेटे को किसी सर्प ने काटा था , परन्तु अब्दुल के पिता के पास उसकी औषदि खत्म हो गई थी जिसके कारण अब्दुल को जंगलो में औषधि लेने को जाना पड़ा ,
जब अब्दुल जंगल मे औषधि चुन रहा था तब उसे कुछ सनसनाहट सी आवाज आई उसने सोचा कोई जानवर होगा उसने अनदेखा किया और फिर औषधि चुनने लगा परन्तु फिर उसे सनसनाहट के साथ धीमी स्वर में कराहने की आवाज आई , अब्दुल को लगा कोई जानवर घायल हुआ होगा, चुकी अब्दुल जड़ी बूटियों का ज्ञान रखता था इसलिए उसने उस जानवर की इलाज करने की ठानी और उसे ढूंढने लगा ,
जब वह झाड़ियो के पीछे उसके कराहने की आवाज का पीछा किया तो उसने एक विशाल बच्चे को देखा जिसे चोट लगी थी वह बच्चा सामान्य बच्चो की तरह था परंतु आकर में विशाल था अब्दुल आस्चर्य चकित था परंतु उसने उस बच्चे के चोट पे जड़ी बूटियों से लेप बना उसे लगा दिया और भागते हुए अपने घर आगया । वह अपने पिता को यह बात बताने से डर रहा था क्योंकि अगर यह बात उन्हें पता चल गई तो शायद अब्दुल को वापस कभी जंगल न जाने दे ।
परन्तु वह उस दानव बच्चे को देखने को उत्सुक भी था जिस कारण वह अगले दिन फिर जंगल गया ताकि उस दानव बच्चे को खोज सके परंतु उसे वह नही मिला , उसने हार नही मानी और फिर अगले दिन ढूंढने गया परंतु इस बार भी निराश लौटा , उसने उम्मीद छोड़ दी। कुछ दिनों बाद वह जंगलो में जड़ी बूटी खोज रहा था तब वह दानव बच्चा अचानक से अब्दुल के सामने आगया, अब्दुल डर गया परंतु जब दानव बच्चे ने उस दिन के लिए अब्दुल से शुक्रिया अदा किया तब अब्दुल सहज होगया और दोनों धीरे-धीरे बात करते हुए दोस्त बन गए।
अब अब्दुल रोज उससे मिलने जाता था तथा वे रोज खेला करते थे एक दिन अब्दुल ने उससे पूछा तुम्हारा घर कहा है दानव बच्चे ने मना कर दिया क्योंकि उसकी माँ ने उसे मन किया था किसी को भी अपने घर के बारे में बताने के लिए परंतु अब्दुल के जोर करने पर वह उसे अपने घर जब उसकी माँ वह नही थी तब ले गया , उसका घर बीच जंगल मे एक गुफा में था जहाँ वो दोनों गए ,गुफा बोहोत बड़ा था तथा उसके अंतिम छोर पर कुछ अंदर की ओर से रोशनी सी आरही थी
जब अब्दुल ने उस रोशनी के बारे में दानव बच्चे से पूछा तो उसने मन करते हुए कहा कि उसकी माँ ने भी उस रोशनी जो गुफा के अंतिम छोर से आरही है वह जाने से मना किया है। अब्दुल मान गया था वह वापस घर चला गया अब अब्दुल रोज उसके घर जाता और दानव बच्चे के साथ खेलता ,
एक दिन वह अपने दानव दोस्त के साथ खेल रहा था तथा वह खेलते उस रोशनी को देखने लगा अब्दुल को उत्सुकता थी कि वो रोशनी जो दूसरे छोर से आरही है वो क्या है , वह उस रोशनी की ओर बढ़ने लगा उसके दानव दोस्त ने उसे मन किया परंतु अब्दुल ने नही सुना जब वह रोशनी के पास पहुचा तो दानव बच्चा उसे रोकने को दौड़ा परंतु दोनों उस रोशनी के पार हो गए तथा दूसरी छोर पर पहुच गए ।
गुफा के दूसरी छोर में भी हरियाली थी जंगल था परंतु जब वो दोनों वापस गुफा में घुसने को मुड़े तो गुफा गायब हो गयी थी वहा कुछ नही था बस जंगल ही जंगल था.......................

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                                                        लेखक- योगेश त्रिपाठी
अब्दुल और उसका दानव दोस्त भाग 2 के लिये इस पर क्लिक करे अब्दुल और उसका दानव दोस्त भाग 2