#Abdul_and_the_giant_friend के आगे का भाग है । जो कि मैंने https://storetimeindia.blogspot.com/?m=1       पर पोस्ट कर  दिया है। अब्दुल और उसका दानव दोस्त भाग 1 यहा क्लिक कर आप पढ सकते है 

     अब कहानी मे आगे -- 
                       जब अब्दुल और उसका दानव दोस्त गुफा के दूसरे छोर पर पहुच जाते है तो वो देखते है वहां भी पेड़ और हरियाली छाई हुई थी अब्दुल ने अपने दोस्त से कहा तुम्हारी माँ फालतू का तुझे डराती थी । और जब वो दोनों वापस गुफा की और मुड़े तो गुफा गायब थी , अब अब्दुल और उसका दानव दोस्त पूरी तरह डर जाते है और इधर-उधर अपने घर को ढूंढने लगते है , जब गुफा नई मिलता तो अब्दुल दानव दोस्त को अपने घर ले जाता है ,
जब अब्दुल अपने घर जाता है तो वो देखता है वहां उसका घर ही नई है ,उसके घर के जगह पर एक खंडहर होता है , अब अब्दुल भी
पूरी तरह डर जाता है , अब्दुल घबरा गया था उसने अपने दानव दोस्त को जंगल मे झाड़ियो के पीछे छुपा दिया और वहां अपने घर को ढूंढने लगा , जब उसे अपना घर नही मिला तो
तो वह वही एक बुढ़िया से अपने घर के बारे में पूछने लगा , यहां एक घर था वो कहा गया यहां रहने वाले लोग कहा गए, उस बुढ़िया ने अब्दुल से कहा कि जब वो छोटी थी तब से यह कोई घर नई है बस एक खंडहर है , ये सुनते ही उसने अपने पिता का नाम उसे बताया पर वह नही जानती थी ।अब अब्दुल रोने लगा उसे कुछ समझ मे नही आरहा था कि ये उसके साथ क्या हो रहा है , वह वापस अपने दोस्त के पास गया जंगल मे लेकिन उसने देखा वह उसका दानव दोस्त नही था वह वहां से गायब था, अब्दुल उसे ढूंढने लगा पर वह नही मिला अब्दुल निराश हो चुका था , अब वह कहा जाता उसे कुछ समझ मे नही आरहा था ,उसका दानव दोस्त भी कही गुम हो गया था ,

                 अब्दुल निराश हो कर अब शहर की ओर आगया उसके पास रहने को कोई जगह नही थी,
उसकी हालत भीख मांगने जैसी हो गई थी वह कर भी क्या सकता था, उसने अपने ज़िन्दगी से आशा ही खो दी थी , परंतु एक दिन जब वह भीख मांग रहा था तब उसने देखा कि उस राज्य की महारानी ने यह ऐलान कराया कि यदि कोई वैद्य , महाराज की लाइलाज बीमारी को ठीक कर देगा तो उसे मुह मांगा इनाम मिलेगा । दरअसल अब्दुल जिस राज्य में था उस राज्य के महाराज को एक ऐसी बीमारी थी जिसका कोई इलाज नही था जिस कारण रानी को ऐसा ऐलान कराना पड़ा
इस ऐलान से अब्दुल को उम्मीद की नई किरण दिखाई दी , क्योंकि अब्दुल को जड़ी बूटियों की जानकारी थी इसलिए उसने सोचा राजा की मदद कर वह अपने घर और अपने दोस्त को ढूंढ सकता है।
वह राजा के महल गया परंतु उसकी आयु और उसकी हालत देख बार -बार उसे दरबान द्वारा बाहर निकाल दिया जाता था , अब्दुल ने पूरी तरह ठान लिया था कि वह राजा की मदद कर के रहेगा, एक दिन जब रात हो गई तब अब्दुल चुपके से महल के पास गया और महल के अंदर दीवाल फांद कर राजा के सयन कक्ष में पहुच गया वहाँ कोई भी नही था बस महाराज अपने बिस्तर पर सोए हुए थे और रानी बाहर गई थी , अब्दुल ने मौका देखते हुए जड़ी बूटियां निकली और राजा को पिला दिया , राजा के बीमारी के कारण वह सब कुछ सामने देख रहा था पर कुछ कर नही पा रहा था
कुछ देर बाद जड़ी बूटियों ने असर दिखाया और राजा ने अब्दुल को अपने पास बुलाया और सब पूछने लगा , अब्दुल ने राजा को अपनी पूरी कहानी बताई और उनसे विनती की कि वह उसकी मदद करे उसके परिवार और दोस्त को ढूंढे ,
        राजा ने आस्वासन दिया और पूरे राज्य में उसके परिवार और दोस्त को ढूंढने लगा परंतु 
कोई भी नही मिला जो अब्दुल को जनता भी हो । अब्दुल पूरी तरह निराश था और वह वाह से जाने लगा तब रानी ने राजा से विनतीकी अब्दुल को गोद लेने की क्योंकि रानी की कोई भी संतान नही थी और अब्दुल का भी कोई इस दुनिया मे नही था , राजा ने रानी की बात मानते हुए अब्दुल को गोद ले लिया ,
समय बीतता गया और अब्दुल बड़ा होता गया और वह बड़ा होकर बहुत बड़ा पराक्रमी राजा बना । जब वह शासन कर रहा था तब अब्दुल के कानों में एक बात पहुची की एक बड़ा सा दैत्य पूरे राज्य में हाहाकार मचा कर रख दिया है , उसने उस दैत्य को मारने का मन बना दिया जब वह उस दैत्य को मारने गया तब वह उस दैत्य को देखकर चम्भित हो गया क्योंकि वह दैत्य ओर कोई नही उसका अपना मित्र था जो बचपन मे उससे बिछड़ गया था ,
अब्दुल ने देखा उसका दानव दोस्त पागल हो चुका है और हाहाकार मचा रहा है , परंतु वह अपने दोस्त को मार भी तो नही सकता था , वह क्या करता , उसने पता लगाया कि उसकी हालत ऐसी कैसे हो गई ,तब उसे पता चला जब वह अपने घर के बारे में बचपन मे उस जिस बुढ़िया से पूछ रहा था वह जादूगरनी थी और उसने उस दानव के बच्चे को देख लिया था , उसी ने उसको अगवाह किया और पागल कर अपने बुरे कामो में इस्तमाल किया ।
 
ये सब जान कर अब्दुल को बोहुत गुस्सा आया और उसने उस जादूगरनी को ढूंढना सुरु कर दिया , आखिरकार वह जादूगरनी मिल ही गई और जब अब्दुल ने उससे अपने दोस्त को ठीक करने को कहा तो उसने साफ मना करते हुए अब्दुल को ही कैद कर लिया , और उस दानव पर जादू करने लगी , अब्दुल किसी तरह उसके फंदे से बाहर निकल गया और धीरे से जाकर तलवार की नोक पर उस जादूगरनी से अपने दोस्त को ठीक करने को कहा पर वह नही मानी तब अब्दुल ने सोचा जब जादूगरनी ही मर जाएगी तो उसका जादू भी मिट जाएगा और अब्दुल ने जादूगरनी का गला काट दिया पर जादू खत्म होने के बजाय और गलत तरीके से असर
     करने लगा , अब अब्दुल का दानव दोस्त पूरी तरह से पागल हो चुका था , अब्दुल को कुछ समझ मे नही आरहा था कि अब वह कैसे करे 
परंतु उस दानव का आतंक और भी बढ़ गया था ,अंत मे अब्दुल ने अपने सैनिकों को दानव को काबू में करने को भेजा पर उस दानव ने उन्हें भी मार डाला अंत मे अब्दुल के पास कुछ उपाय नही बचा अपने दोस्त से लड़ने गया
और उन दोनों के बीच बोहोत बड़ा युद्ध हुआ आखिरकर अब्दुल ने अपने तलवार से अपने मित्र के सर पर प्रहार किया और दानव का धड़ ओर सर दोनों अलग हो गए । अब्दुल अपने घुटनों के बल गिर गया और रोने लगा उसे भारी दुख हो रहा था अतः अब्दुल ने भी रोते-रोते अपने प्राण त्याग दिए ।


THE END
             Dhanyawad
                                   लेखक -योगेश त्रिपाठी